कुमुदिनी की बेटियां
कुमुदिनी की बेटियां
तीन बेटियों की मां कुमुदिनी के जीवन में संतुष्टि भरी प्रसन्नता आ चुकी है, क्योंकि उसका लक्ष्य लड़कियों की शादी कर ,लड़कियों को सौभाग्य प्रदान करने के अलावा कुछ अलग ही रहा ,। कुमुदिनी नहीं चाहती थी ,उसकी बेटियों की इच्छाएं किसी और की मुट्ठी में कैद हों,बंदिशों के नाम पर मानसिक घुटन हो। कुमुदिनी खुद भी चाहती थी ,कि जब बेटियां सफलता के कदम चूमें तो, सब यही कहें कि आखिर बेटी किसकी हैं? और सफल व्यक्तियों के चर्चों में बेटियों की पहचान भी शामिल हो । कुमुदिनी भूल जाना चाहती है ,कि मां ने यही सिखाया, या मां ने कुछ भी ना सिखाया ,और हमारे मत्थे मड दी, अब झेलो महारानी को । इन तानों की गूंज आज भी गूंजती है ,कुमुदिनी के कानों में । कुमुदिनी ने अपने दर्द को स्वयं पिया है ,। कुमुदिनी का सपना था ,कि उसकी बेटियां पढ़ लिखकर सफलता की स्याही से उसका नाम रोशन करें । आज उसकी दो बेटियां कॉलेज में प्रोफेसर और छोटी बेटी प्रशासनिक अधिकारी बन चुकी है । कुमुदिनी आज बरसों बाद तीनों बेटियों को लेकर गांव आई है ,और अपनी सास को प्रणाम कर ,तीनों बेटियों का परिचय मांजी से कराया ,मांजी यह आपकी तीनों वही पोतीयां हैं, जिनके जन्म पर आप परेशान हो जाती थी ,और तीसरी संतान के रूप में भी बेटी होने पर ,अपने वंश का नाम चलाने वाले पोते की लालसा में आपने इन बेटियों के पिता की दूसरी शादी करवा कर, मुझे वापस मायके जाने का आदेश दिया था। यह कुमुदिनी की बेटियां हैं, जिनके सपने ,इच्छायें ,इनका जीवन इनकी अपनी मुट्ठी में हैं ।मेरी बेटियां ही मेरी पहचान हैं, तीन बेटियों की मां होना ही मेरा परिचय और सौभाग्य है।
Mohammed urooj khan
13-Oct-2023 01:34 AM
👌👌👌
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Gunjan Kamal
12-Oct-2023 08:23 AM
👌👏
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Punam verma
12-Oct-2023 07:47 AM
Nice
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